लेखनी प्रतियोगिता -31-Dec-2023
दैनिक प्रतियोगिता कविता
विषय - स्वैच्छिक
*एक समय वो भी था*
एक समय वो भी था जब मैं स्वप्न देखती थी बंद आंखों से
और ढूंढती थी उसे खुली आंखों से l
एक समय ये भी है जब
मैं स्वप्न देखती हूँ खुली आंखों से उसे एकटक निहारती हूं और समेट लेती हूं बंद आंखों में l
एक समय वो भी था जब मैं किसी के प्रेम के लिए तड़पती थी
खोजती रहती थी इस भीड़भरी दुनिया में l
एक समय ये भी है कि उसको ना पाकर भी पा लिया है! खोज खत्म भी हो चुकी और जारी भी है!
एक समय वो भी था जब थोड़े से नाम के लिए २४ घंटों से भी ज्यादा मेहनत करती थीपर तृप्त न थी !
एक समय यह भी है जब बहुत नाम है, सम्मान है पर अब उसकी चाह नहीं l
क्यों कि ये वो समय है जब उसे पाकर सब कुछ पा लिया है , अपने भीतर सारा जहां समा लिया है!
*अपर्णा "गौरी" शर्मा 🕉️
Reyaan
17-Jan-2024 11:36 PM
V nice
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Gunjan Kamal
08-Jan-2024 08:51 PM
👏👌
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Rupesh Kumar
07-Jan-2024 09:40 PM
Nice
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